सोमवार, 6 अप्रैल 2009

नन्ही परी



कहते हैं बच्चे इश्वर का दूसरा रूप होते हैं. जब तक आम्या (मेरी बेटी) हमारे जीवन में नहीं आई थी, तब तक यह बात सिर्फ कहावत थी हमारे लिए. उसके आने के बाद इस बात की गहराई को महसूस किया. अब तो लगता ही नहीं की कभी ऐसा भी था की हम उसके बिना भी रह रहे थे. उसकी एक एक बात हमारे लिए किसी कोहिनूर हीरे से कम नहीं है.

उसके तीसरे जन्मदिन (११ फरवरी) के अवसर पर यह कविता बनाई थी पर ब्लॉग पर अब डाल रही हूँ.



कल की जैसे बात हो, हमारे आँगन को उसने किया गुलज़ार
हमारी ज़िन्दगी में रस घोला, पूरे घर में आ गयी जैसे बहार

दादा-दादी, नाना-नानी को मिला नया खिलौना
पापा और माँ की बाहें बनी उसका बिछौना

पल पल में रोना ही थी सिर्फ उसकी भाषा
हम सब की मनौती, हम सबकी आशा

वो दिन भर की थकन के बाद रात भर का जागना
बस उसकी एक झलक से उस थकन का भागना

उसका घुटनों पर चलना वो पहला कदम
उसकी छोटी पायल की घर भर में छम-छम

समय के साथ धीरे धीरे उसका भी बढ़ना
अपनी बात मनवाने के लिए हम सबसे लड़ना

उसकी शरारत उसकी मुस्कान
उसके गुड्डे गुडिया, मेरे घर के मेहमान

अब तो क्या घर में है होना, बताने लगी है
अपनी बातों से हमें भी अब चलाने लगी है

अब नन्ही मेरी स्कूल जाने लगी है
जैक एंड जिल की कहानी सुनाने लगी है

उसके हाथ अब रंगों को पकड़ने लगे हैं
मेरे घर की दीवारों पर अब घर बनने लगे हैं

मेरा बचपन वो वापस है लायी
मेरे घर में एक नन्ही परी है आई

17 टिप्‍पणियां:

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

लेट ही सही, आम्या को जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभाशिर्वाद,

अब नन्ही मेरी स्कूल जाने लगी है
जैक एंड जिल की कहानी सुनाने लगी है

उसके हाथ अब रंगों को पकड़ने लगे हैं
मेरे घर की दीवारों पर अब घर बनने लगे हैं

मेरा बचपन वो वापस है लायी
मेरे घर में एक नन्ही परी है आई


बहुत सुंदर कविता लिखी आपने आम्या के लिये. वाकई सभी को आपने बचपन मे गोता लगवा दिया. बहुत धन्यवाद और शुभकामनाएं.

रामराम.

शेरघाटी ने कहा…

muddat hui na! waqt idhar lekar aaya to bhavuk kar diya kavita ne.kaaash k ham mil paate.aamya ko dheron pyaar.bitiya ko vosab khushiyaan mile jiske ham-sabne tamaana ki.use uski khushi mile.

achchi kavita bhavon ki drishti mein adbhut!

विक्रांत बेशर्मा ने कहा…

उसके हाथ अब रंगों को पकड़ने लगे हैं
मेरे घर की दीवारों पर अब घर बनने लगे हैं

मेरा बचपन वो वापस है लायी
मेरे घर में एक नन्ही परी है आई

प्रज्ञा जी,
कोमल एहसासों से भरी ये नज़्म बहुत ही प्यारी लगी...आपने सच ही कहा है की बच्चे भगवान् का रूप होते हैं !!!

admin ने कहा…

परियॉं हमेशा से ही लोगों को आकर्षित करती रही हैं। ऐसे में जब नन्‍ही परी सामने आ जाए, तो क्‍या कहना। बहुत खूब।

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SBAI TSALIIM

Bhawna Kukreti ने कहा…

jab aapki kavita padhi to laga jaise kuch to jaise mere ghar ki baatein hain aur aage padha to laga ki ye bhi mere ghar ki baatein hongi , bahut sundar kavita hai , aamya ko mera dher sara pyaar, aur rudra (mera beta ) ki hello

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

आशीष, बधाई एवं शुभकामनाएं

L.Goswami ने कहा…

der se sahi bitiya ko aashish den..aapke blog par pahali baar aai..bahut achchha likhti hain aap.

Sachin ने कहा…

बहुत अच्छा प्रज्ञा, दिल की बात कही है तुमने...। जिसके बिटिया होती है वह इस बात को महसूस कर सकता है। मैं भी महूसूस कर रहा हूँ। खासतौर से न्यूक्लियर फैमिली में रहने वाले कपल तो बच्चों को बहुत मेहनत से पालते हैं। मैं और दीप्ती भी इस सुहाने संघर्ष से गुजरे हैं। उन पलों को किसी भी चीज से तौला नहीं जा सकता। अपनी सुंदर कविता और प्यारे विचारों को पढ़ाने के लिए दिल से धन्यवाद।

satish kundan ने कहा…

मेरे घर में एक नन्ही परी है आई...बहुत ही खुबसूरत अभिवक्ति एक माँ का अपनी बेटी के लिए..
कभी मेरे ब्लॉग पर भी आइये आपका स्वागत है..

SAHITYIKA ने कहा…

bahut hi pyari kavita likhi hai aapne.. bhavon ko shabdon me pirona kathin kaam hai..lekin aapne ise bakhubi kiya hai..
belated happy birth day to aamya

अनिल कान्त ने कहा…

आपकी लेखनी मुझे बहुत पसंद आई ....आपके ब्लॉग पर जाकर निजी जिंदगी से जुड़े कई पहलु मिले ...सच कहूं तो अपनापन सा लगा ....

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

vijay kumar sappatti ने कहा…

betiyan to bus ghar bhar me khushiya bhiker deti hai ji ....aapne bahut umda likha hai ...

Aabhar
Vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/2009/07/window-of-my-heart.html

admin ने कहा…

BILKUL PARI.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Reetika ने कहा…

pyaari aur maasoon rachna...

Amya's Babaji ने कहा…
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Amya's Babaji ने कहा…

Pal pal me hasana ( not Rona )

Unknown ने कहा…

बहुत सुंदर और मनमोहक रचना