शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

रिप्लाई टू आल

पिछले कुछ दिनों पहले जब अपना email पढने के लिए खोला तो देखा कि एक मित्र का बहुत सारे लोगों को सन्देश आया था.. किसी एक अवसर के लिए जितने लोग आमंत्रित थे, उनको उस मित्र ने कुछ उपहार देने के लिए कुछ सुझाव दिए थे. और साथ ही बहुत विनम्रता के साथ निवेदन भी किया था कि अगर कोई बंधू उत्तर दे तो उसे "reply to all" ना करे. जिससे कि किसी को परेशानी न हो. अब हम सब ठहरे हिन्दुस्तानी!! यानी जिस बात को मना किया जाए, उसे ही करेंगे. ऐसा ही कुछ एक सज्जन ने किया. उन्होंने बिना कुछ सोचे समझे एक "forwarded message" सब लोगों को भेजा. बस....... अब तो लोगों को बहुत अच्छा मसाला मिल गया अगले को पब्लिकली नीचा दिखाने का!!! उनको तो भाई ऐसी ऐसी गालियाँ पड़ी कि बस..... पर आप इसमें एक बात देखिये.... भाई को जिस बात के लिए कोसा जा रहा था, वही गलती सब कर रहे थे... यानी कि "reply to all" करके उसे धमकी दी जा रही थी कि उसने ऐसे कैसे इस सेवा का आनंद उठा लिया.. १-२ दिन तक तो हमने भी मजे लिए... फिर हमने इंसानियत (या मुसीबत ) के नाते एक बंधू को लिखा कि कम से कम आप तो सबको मत लिखो.... अब तो हमारी शामत ही आ गयी. उस भाई ने हमें जो फटकारा है कि हम क्या बताएं?? मेल पढने के बाद जो गुस्से की आग सुलगी है कि हम ही जानते हैं. (राजपूत खून अपना असर दिखा ही देता है).... पतिदेव को बताया तो वो भी हम पर बरस पड़े... कि तुम्हे क्या जरूरत थी किसी के मुंह लगने की? अपने काम से काम नहीं रख सकतीं?? वगैरह.... वगैरह..... अपने मित्रों को बताया तो उन्होंने भूल जाने कि सलाह दी... (cool down) होने कि.... बस तब से यह बात दिल में कुलबुला रही थी और हमने ठान लिया था कि अपने ब्लॉग-मित्रों के सामने ही अपना दुखडा रोयेंगे.... कम से कम कोई नसीहत तो नही मिलेगी न?? और हमारे दुखते हुए दिल पर सहानभूति (झूठी ही सही) का मलहम लगायेंगे... अब अगर कोई "forwarded message" आता है तो बस पढने के बाद माउस सीधा डिलीट बटन पर ही जाता है... जाते जाते आप लोगों को एक सलाह देना चाहेंगे.... कभी किसी से "reply to all" बात पर पंगा मत लेना.... वर्ना पब्लिक में बे-इज्जती होने से कोई नहीं बचा सकता....